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अब जाति नहीं आय के आधार पर हो सकता है आरक्षण..! सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को दी मंजूरी…

1 months ago
Written By: आदित्य कुमार

सरकारी नौकरियों में आरक्षण की अधिक न्यायसंगत व्यवस्था बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अहम जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिस पर अब अदालत ने सुनवाई करने का निर्णय लिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 10 अक्तूबर तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आगाह किया है कि इस मुद्दे पर उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे।

उत्तर प्रदेश के याचिकाकर्ता
यह जनहित याचिका प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के रमाशंकर प्रजापति और यमुना प्रसाद ने दायर की है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और कानून मंत्रालय को इसमें पक्षकार बनाया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में आर्थिक रूप से सबसे वंचित लोग कई बार लाभ से वंचित रह जाते हैं, जबकि आरक्षित वर्ग के अपेक्षाकृत संपन्न और सामाजिक रूप से सशक्त लोग इसका अधिक फायदा उठा लेते हैं।

संविधान को मजबूत करने की दलील
याचिका में तर्क दिया गया है कि आय आधारित प्राथमिकता से यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी सहायता उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके साथ ही, यह बदलाव संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 को मजबूत करेगा, बिना मौजूदा कोटा प्रणाली को खत्म किए। याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य जाति-आधारित आरक्षण को कमजोर करना नहीं, बल्कि उसे अधिक प्रभावी और लक्षित बनाना है।

राजनीतिक असर की आशंका
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई का निर्णय ऐसे समय में आया है, जब इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। दोनों राज्यों में आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है। बिहार में लगभग हर चुनाव से पहले आरक्षण के खतरे का मुद्दा उठता रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक, विपक्ष ने संविधान पर खतरे और आरक्षण खत्म करने जैसी साजिश के आरोपों को जोर-शोर से उठाया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आने और चुनाव से पहले सुनवाई होने से आरक्षण बहस के केंद्र में आ सकता है।

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